रविवार, 19 दिसंबर 2010

दरिद्र

आस्था दरिद्र : जो सत्य पर भी कभी आस्थावान नहिं होता।
त्याग दरिद्र : समर्थ होते हुए भी, जिससे कुछ नहिं छूटता।
दया दरिद्र : प्राणियों पर लेशमात्र भी अनुकम्पा नहिं करता।
संतोष दरिद्र : आवश्यकता पूर्ण होनें के बाद भी इच्छा तृप्त नहिं होती।
वचन दरिद्र : जिव्हा पर कभी भी मधुर वचन नहिं होते।
मनुज दरिद्र : मानव बनकर भी जो पशुतुल्य तृष्णाओं से मुक्त नहिं हो पाता।
धन दरिद्र : जिसके पास न्यून भी धन नहिं होता।

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