जैन संस्कृति
रविवार, 19 दिसंबर 2010
प्रदर्शन ही पाखंड
समता
,
सज्जनता
,
सदाचार
,
सुविज्ञता
और
सम्पन्नता।
निश्चित
ही
यह
उत्तम
गुण
है
,
बस
इनका
प्रदर्शन
ही
पाखंड
है।
ऐसे
पाखण्ड
वस्तुत
:
व्यक्तिगत
दोष
है
,
पर
बदनाम
धर्म
को
किया
जाता
है।
मात्र
इसलिये
कि
इन
गुणों
की
शिक्षा
धर्म
देता
है।
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