- प्रेम और विश्वास ही घर की नींव है।
- स्वावलम्बन ही घर के स्तम्भ है।
- अनुशासन व मर्यादा ही घर की बाड है।
- समर्पण घर की सुरक्षा दीवारें है।
- परस्पर सम्मान ही घर की छत है।
- अप्रमाद ही घर का आंगन है।
- सद्चरित्र ही घर का आराधना कक्ष है।
- सेवा सहयोग ही घर के गलियारे है।
- प्रोत्साहन ही घर की सीढियां है।
- विनय विवेक घर के झरोखे है।
- प्रमुदित सत्कार ही घर का मुख्यद्वार है।
- सुव्यवस्था ही घर की शोभा है।
- कार्यकुशलता ही घर की सज्जा है।
- संतुष्ट नारी ही घर की लक्ष्मी है।
- जिम्मेदार पुरुष ही घर का छत्र है।
- समाधान ही घर का सुख है।
- आतिथ्य ही घर का वैभव है।
- हित-मित वार्ता ही घर का रंजन है।
मंगलवार, 16 नवंबर 2010
घर
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सुज्ञ जी
जवाब देंहटाएंअच्छे विचार | हम सभी ये बातेयदि गांठ बांध ले तो हमें यही धरती पर ही स्वर्ग का सुख अपने ही घर में नसीब हो जायेगा |
अंशु माला से सहमत है ...... अगर ये सब है तो घर स्वर्ग है.....
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