जैन संस्कृति
मंगलवार, 16 नवंबर 2010
द्वेष रूपी गांठ
द्वेष रूपी गांठ बांधने वाले, जीवन भर क्रोध की गठरी सिर पर उठाए घुमते है। यदि द्वेष की गांठे न बांधी होती तो क्रोध की गठरी खुलकर बिखर जाती, और सिर भार-मुक्त हो जाता।
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें
नई पोस्ट
पुरानी पोस्ट
मुख्यपृष्ठ
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें