मंगलवार, 16 नवंबर 2010

द्वेष रूपी गांठ

द्वेष रूपी गांठ बांधने वाले, जीवन भर क्रोध की गठरी सिर पर उठाए घुमते है। यदि द्वेष की गांठे न बांधी होती तो क्रोध की गठरी खुलकर बिखर जाती, और सिर भार-मुक्त हो जाता।

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