- प्रतिशोध लेने का आनंद मात्र एक दिन का होता है, जबकि क्षमा करने का गौरव सदा बना रहता है।
- सच्ची क्षमा समस्त ग्रंथियों को विदीर्ण करने का सामर्थ्य रखती है।
- हर परिस्थिति में स्वयं को संयोजित संतुलित रखना भी क्षमा ही है।
- क्षमा देने व क्षमा प्राप्त करने का सामर्थ्य उसी में है जो आत्म निरिक्षण कर सकता है
- क्षमापना आत्म शुद्धि का प्रवाहमान अनुष्ठान है, सौम्यता, विनयसरलता, नम्रता शुद्ध आत्म में स्थापित होतीहै।
बहुत सुन्दर ज्ञान वर्धक अभिब्यक्ति |
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