जैन संस्कृति
मंगलवार, 16 नवंबर 2010
सत्य-क्षमा
चलिये चल कर देखिये, सच का दामन थाम ।
साहस का यह काम है, किन्तु सुखद परिणाम ॥1॥
धर्म तत्व में मूढता, संसार तर्क में शूर ।
दुखदायक कारकों पर!, गारव और गरूर? ॥2॥
क्षमा भाव वरदान है, वैर भाव ही शाप ।
परोपकार बस पुण्य है, पर पीडन ही पाप ॥3॥
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