शुक्रवार, 7 अक्तूबर 2011

धर्म पर छद्मावरण

कुछ लोगों ने अपने तुच्छ लाभ के लिये, तो कुछ ने मोहवश,और कुछ लोगों ने मात्र धर्म के महिमामंडन के लिये, जाने-अनजाने में कईं कुरितियों का प्रक्षेप कर दिया। पहले तो वे कुरितियां प्रतीक रूप में आई व धीरे धीरे वे रुढ होकर कर्म-कांड ही बन गई। और धर्म का ही आभास देने लगी। शुद्ध धर्म पर अशुद्ध आवरण बन छा गई और अन्ततः वे धर्म के मूल सिद्धान्तों के विरुद्ध विरोधाभास बनकर प्रकट हुई।
जगत के मानव हितार्थ प्रकाशित सरल सुबोध धर्म को, इन कुरितियों के छद्मावरण ने दुर्बोध दुष्कर बना दिया। और धर्मद्वेषियों को हथियार दे दिया।

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